बाइक के साथ दौड़ती है 'मौत', न तो भारी वाहनों को इनकी परवाह न ही सड़क पर मिलती कोई अलग लेन
जब किसी दुर्घटना से होने वाली मौत की बात सामने आती है तो इसमें सबसे ज्यादा दो पहिया ही शामिल होते हैं। इसलिए अगर आप दो पहिया वाहन लेकर सड़क पर निकलेंं तो सावधानी से चलें।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत में सबसे ज्यादा दो पहिया वाहन चालक शामिल हैं इसलिए अगर आप कोई भी दो पहिया वाहन लेकर सड़क पर निकले हैं तो सावधानी से चलें और नियमों का पूरी तरह से पालन करें। सड़कों पर सबसे अधिक दो पहिया वाहन ही हैं, लेकिन इनकी परवाह न तो बड़े या भारी वाहन चालक करते हैं और न ही सड़क बनाते समय इनके लिए अलग से कोई लेन है। आंकड़े दुनिया और देश के ही नहीं मेरठ के ही देख लीजिए। खबरों में जब किसी दुर्घटना से होने वाली मौत की बात सामने आती है तो मेरठ में इसमें सबसे ज्यादा दो पहिया ही शामिल होते हैं। पेश है एक रिपोर्ट...
सड़क की डिजाइन में दो पहिया हैं ही नहीं
भले ही दो पहिया वाहनों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन उनके चलने के लिए सड़कों पर कोई निर्धारित जगह नहीं है। पैदल चलने वालों के लिए जरूर फुटपाथ है, लेकिन उस पर भी कब्जा रहता है। सड़कों की डिजाइन करते समय भी सिर्फ चार पहिया वाहन चालकों के हिसाब से ही प्लान किया जाता है। ऐसे में सावधानी ही दोपहिया चालकों को बचा सकती है।
ये उपाय कर लें बाइक में
- टायर को फिसलने से बचाने के लिए एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम लगवाएं। अचानक बाइक में ब्रेक लगाते हैं तो यह बाइक के टायर को लॉक होने से रोकता है, जिससे बाइक के फिसलने का डर नहीं होता है।
- रियर लिफ्ट ऑफ प्रोटेक्शन फीचर लगवाएं। तेज रफ्तार के दौरान जब अचानक से ब्रेक लगाते हैं तो बाइक का पिछला पहिया हवा में उठ जाता है। ये फीचर पिछले टायर को हवा में उठने से रोकता है।
- ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम लगवा लें। कीचड़ भरे रास्तों पर फिसलने से यह सिस्टम बचाता है।
- व्हीकल स्टेबिलिटी कंट्रोल सिस्टम बाइक को संतुलित करता है। बाइक के झुकने के दौरान चालक के राइडिंग स्टाइल, एक्जेलरेशन और पावर का आकलन करके ऑटोमेटिक तरीके से ब्रेक लगाने और ट्रैक्शन को कंट्रोल करने का कार्य करता है। जिससे बाइक संतुलित होकर चलती है।
इसलिए दोपहिया वाहन चालक होते हैं शिकार
- भारी वाहनों, बस आदि द्वारा जगह न देना और ओवरटेक के समय नीचे ढकेल देना
- साइड लेन के बजाय मुख्य लेन का प्रयोग करना
- बाइक चालकों द्वारा भी कट लेना और ओवरटेक करना
- हेलमेट न पहनना
- अधिक स्पीड में चलना और नियंत्रित न कर पाना
- बाइक पर फोन से बात करते हुए चलना
- टायर व ब्रेक सिस्टम ठीक न होने से अचानक ब्रेक लेने पर फिसल जाना
- क्षमता से अधिक लोगों को बैठाना और सामान लादकर चलना
- साइड मिरर का प्रयोग व उपयोग न करना
- सड़क, परिवहन नियम व बड़े वाहनों के संकेतों को न समझ पाना।
एक नजर इन पर भी
- 54 प्रतिशत मौतों में अंतरराष्ट्रीय आंकड़े में दोपहिया, साइकिल व पैदल चलने वाले शामिल
- 39.6 प्रतिशत मौतों में भारत में दोपहिया वाले शामिल
- 1.7 प्रतिशत मौतों में भारत में साइकिल वाले शामिल
- 10.4 प्रतिशत फीसद मौतों में भारत में पैदल चलने वाले शामिल
वाहनों का इतना दबाव तो टक्कर क्यों न लगे
मेरठ में प्रतिदिन 83 हजार 681 वाहन आते-जाते हैं। इसमें से 64 फीसद वाहन से यात्री गुजरते हैं। 22.4 फीसद से माल ढोए जाते हैं। 9.3 से 18.4 फीसद ही भारी वाहन रात में चलते हैं, बाकी दिन में ही निकलते हैं। पीक ऑवर में 7.0 से 9.2 फीसद वाहन बढ़ जाते हैं। यह आंकड़े 2007 के एक सर्वे पर आधारित हैं। उसके बाद वाहनों की संख्या काफी बढ़ी है। ऐसे में वर्तमान में वाहनों का दबाव और हो गया है।
मेरठ में पंजीकृत वाहन
दो पहिया- 5 लाख, 90 हजार
तीन पहिया- 10 हलार 244
चार पहिया- 1 लाख 32 हजार
बस- 4400
मौत पर एक शोध यह भी कहता है
दो पहिया वाहन चालक हेलमेट न पहनना शराब पी लेना अधिक स्पीड से वाहन चलाना अनियंत्रित चलाना सड़क के गड्ढे या अन्य दुर्घटना वाले संकेत दिखाई न देना सड़क पर अंधेरा फिसल जाना दुर्घटना होने पर समय से अस्पताल न पहुंचना = मौत की पूरी आशंका।